क्या हैं शनि कौन हैं शनि
जीवन क्या उपयोगिता हैं इनका आज इस पर विस्तृत तरीके से बात करते है।
काल पुरुष की कुंडली का अध्यन करते समय हमेशा एक बात सोचने पर मजबूर करती रही विधाता ने शनि जैसे ग्रह की राशि को कर्म स्थान में जगह क्यों दी
और तो और लाभ स्थान में भी शनि जैसे ग्रह का क्या काम
इसका उत्तरबमुखे
यूरोप के दार्शनिक Machiavelli के वाक्य में मिला
उसका कहना था लाभ का असली फायदा तब हैं जब उसे धीरे धीरे दिया जाए
जो बिल्कुल उचित बात हैं कौन बनेगा करोड़पति में एक व्यक्ति ने पांच करोड़ रु जीत लिए थे बाद में पता चला उसके पास ज्यादा पैसा बचा ही नहीं
तो कहने का मतलब हैं लोगो को लाभ धीरे धीरे ही मिलना चाहिए अक्सर इक्कठा पैसा मिलते हैं वे उसे इधर उधर खर्च कर देते है
यहां इसलिए शनि की राशि मिली के वे इस लाभ को लोगो कों धीरे धीरे दें ताकि वे लाभ की इज्जत करें
शनिदेव को समझना हैं तो श्रीकृष्ण को समझाओ जिसने श्री कृष्ण को समझ लिया उसने शनि को समझ लिया
शनिदेव के सारे गुण श्री कृष्ण में थे
जब पांडवों को खांडव वन मिलता हैं तो पांडव उखड़ पड़ते हैं की हमें पथरीली जगह क्यों दी
तब श्री कृष्ण बताते हैं सही मायने में कर्म का मतलब
की बिना सोचे समझे इस पथरीली जगह को अपना कर्तव्य मानो जो लोग ये सीख लेते हैं उनका जीवन खांडव वन हैं वो ही इंद्रप्रस्थ बनाते हैं
जितने भी लोगो को शनि कुंडली में अच्छी स्थति में मिला हैं और तमाम परेशानी है। तो इन परेशानी को दूर करना ही उन्हे अपना कर्म बना लेना चाहिए
बहुत से लोग घर से दूर जाना नही पसंद करते हैं
श्री कृष्ण ने भी तो मथुरा छोड़ी द्वारिका गए
बहुत से लोग अपमान का जहर नहीं पी पाते
श्री कृष्ण ने कई मौके पर ये जहर पिया गांधारी का श्राप झेला लेकिन अंत में झुके भी पर अपना कर्म नहीं भूले
कर्म क्या होता हैं
एक सैनिक का कार्य है लड़ना
एक पिता का कार्य हैं अपने परिवार को रक्षा करना
प्रशासन का कार्य हैं व्यवस्था बनाए रखना
गीता में श्री कृष्ण अर्जुन को यही तो समझाते हैं
अर्जुन तो न तो राजा बनने वाले थे न उस सेना के सेनापति थे न उन्होंने द्रोपदी इंद्रप्रस्थ को दांव पर लगाया था
फिर भी उसे शंका हुई की उसे क्यों अपनों को मारना हैं
तो कृष्ण यही तो याद दिलाते हैं की कोई मनुष्य बिना कर्म करे रह ही नहीं सकता हैं हर मनुष्य को व्यक्तिगत मोह के बंधन से मुक्त होकर अपना कर्तव्य करना चाहिए यदि वो ऐसा नहीं करेगा तो सामाजिक ढांचा ढह जाएगा
अगर सैनिक लड़ना छोड़ दे। फायर बिग्रेड का व्यक्ति जान जोखिम में डालके आग न बुझाए तो संसार में अराजकता तो आ ही जायेगी
कृष्ण ने साफ साफ कहा तीनों लोको में ऐसा कुछ भी नहीं जिसे वे प्राप्त करना चाहे न कर सकें लेकिन फिर भी कर्म कर रहे हैं अर्जुन के सारथी बने हैं
अर्जुन के पास तीन मौके आए थे कर्ण को मारने के अर्जुन ने तब बाण नीचे कर लिए फिर कृष्ण ने समझाया ऐसा न करो कर्ण को मरना कर्तव्य है उसका वध करो आगे बढ़ो
ऐसे ही लोगो को समझना चाहिए उन्हें अपने जीवन में किसी को नीचा दिखाने के लिए कोई कर्म नहीं करना चाहिए कर्म तो यश पाने केलिए करना चाहिए
सूर्य यदि शासन हैं तो शनि प्रशासन हैं
शुक्र यदि नीति हैं तो शनि राजनीति
मंगल यदि साहस है। तो शान दृढ़ता
चंद्रमा यदि मन हैं तो शनि हमारा अवचेतन मन
बुध यदि हमारी बुद्धि हैं तो। शनि हमारा विवेक
बृहस्पति हमारा आर्शीवाद हैं तो शनि हमारा त्याग
और त्याग की ताकत तर्क की ताकत से सदैव शक्तिशाली होती है