*जानिए कैसेबनते हैकंुडली मेंअच्छी नौकरी पाने के योग…*
समझदार मनष्ुय अपनेसरुक्षि त भवि ष्य के हेतूअच्छी और नि यमि त आय के लि ए सदा तत्पर रहता है। अच्छेशि क्षण के बाद अच्छी नौकरी पाना इस उद्दीष्ट प्राप्ति के हेतूएक महत्त्वपर्णू र्णघटना होती है। नौकरी अगर सरकारी या अति उत्तम सस्ं था की हैतो मनष्ुय
उस नौकरी को स्थायी बनानेके हेतूप्रयत्नशील रहता है। तभी उसका भवि ष्य सरुक्षि त एवंसमद्ृ ध बन जाता है। तो फि र इस उद्दीष्ट प्राप्ति के लि ए कौनसेयोग आवश्यक होतेहैं, यह हम सक्षिं क्षिप्त मेंजानेंगे।
मनष्ुय का कर्म हम जान सकतेहै, उसके दशम भाव से। जन्मकंुडली के १२ भावों मेंसेदशम भाव व्यक्ती के कमों का नि दर्शि तर्शि करता है।
उसमेंकौनसी राशी वि राजमान है, यह उसके कर्मभर्म मू ी और कर्म के प्रति उसकी नि ष्ठा और ऊर्जा को दर्शा ता है। स्थि र भाव की राशी अच्छी नौकरी पानेके लि ए अधि क अनकुूल बन जाती है। अगर अस्थि र राशी दशमभव में स्थि त हैतो मनष्ुय को हर वक्त घमु ानेवाली नौकरी मि ल जाती है, जसै ेकी सेल्समन, मार्केटींग, डि लीव्हरी, प्रचार, प्रसार, प्रवास, इ.। या फि र मनष्ुय हर बार नौकरी बदलता रहेगा ।
दशम भाव का स्वामी ग्रह कैसी अवस्था मेंहै, यह भी व्यक्ती के कर्मयर्म ोग पर अनकुूल या प्रति कूल प्रभावि त करता है। दर्शमर्श ेश अगर स्वराशी, मि त्रराशी और शभु ग्रहों सेयक्ुत हो तो व्यक्ती को अच्छी नौकरी, उसमें अनकुूल सहयोगी, वरीष्ठ एवंउच्चाधि कार प्राप्त होतेहै। कर्मप्रर्म धान ग्रहों के प्रभाव सेव्यक्ति स्वकर्तृत्र्तृ व के बल पर उच्चाधि कार एवंपराक्रम बनता है।
शभु ग्रहों की दशमभाव मेंउपस्थि ती व्यक्ती को धनवान, अनकुूल परि स्थि ती, उच्च स्थान, श्रेष्ठ पद की ओर मनष्ुय को लेजाती है। सक्षिं क्षिप्त मेंकहा जाएंतो, दशमस्थान और दशमेश कि स अवस्था मेंहै, उस प्रकार व्यक्ती के कर्मयर्म ोग बनतेहैं। यहांअभ्यास जन्मकंुडली और चद्रं कंुडली के अनसु ार दोनों वि भि न्न प्रकारों से कि या जा सकता है। क्रमशः
श्री. केदार महाडीक,
ज्योति ष पडिं डित, पणु े.