हम सब को जीवन में जो प्राप्त हुआ है। यह परमात्मा का वरदान है। इसका हमें सदुपयोग करना चाहिए। हम सब के जीवन में महत्वपूर्ण है अपने जीवन की दिशा , अगर हमारा जीवन सही दिशा में हैं तभी इसकी दशा अच्छी होगी ,इसके लिए यह परम आव्यश्यक है की हम अपने उद्देश्यों को समझे और उसके आधार पर निर्णय ले। सामानयतः लोगो के मन में एक भ्रम है ज्योतिष के विषय में की यह भविष्य को जानने का विज्ञान है पर ऐसा नहीं है यह पूर्णतः भविष्य को बनाने का विज्ञान है। हमें अपने दृष्टिकोण को बदलना होगा तभी हम ज्योतिष को समझ पायेंगे
ऋषियों ने ग्रहो के आधार मनुष्य को अपने को समझने का उपदेश दिया था। जिसके आधार पर हम अपनी क्षमताओं का आकलन करे और अपने को ऊँचा उठाये। आम जन मानस में एक भ्रान्ति फैली हैं की ज्योतिष से हम अपने जीवन को जान सकते है की कल क्या होगा जबकी यह इसके बिलकुल विपरीत है। ज्योतिष के साथ हमें अपने को जीवन में आगे बढ़ा सकता है। अपने लक्ष्य को आसानी से पासकते है। यहाँ पर एक वात का उल्लेख करना अति आव्यश्यक है की हम अपने जीवन के स्वयं भाग्य विधाता है। जैसा हम कर्म करेंगे वैसा ही हमें फल मिलेगा , ज्योतिष कर्म की विवेचना और कर्म के सुधार का विज्ञान है न की कर्म फल से बचने का विज्ञान है। कोई भी व्यक्ति कर्म फल से नहीं बच सका है , भगवान राम भगवान् कृष्णा इन सभी को अपने किये गए कर्मो के परिणाम स्वरुप धरती पर अवतरित होना पड़ा है।
तब हमारी ज्योतिष किस तरह हेल्प करेगी इसका एक ही उत्तर है सद कर्म की महत्ता को प्रतिपादित करना। जो जैसा करेगा वह वैसा ही पायेगा। हमारी विचार शक्ति ही हमारा वास्तविक धन और साधन है। सददकर्म की प्रेरणा सद विचारो से आती है । सद विचार गायत्री मन्त्र के जप से आते है। जप का सिद्धांत है की जिस बात को हम कई बार बोलेंगे वह हमारे अन्तः करन में में उसी मात्रा में स्थापित होती है जिससे हम उसको आत्मसात करले और हमारा जीवन भी वैसा होगा। जिसकी आवयश्यकता हम सब को है। ज्योतिष का उपयोग अपने लिए अपने जीवन की सम्भावनाओ को बनाने का है। यह हमें अपने जीवन में आगे बढ़ाने में मदद करता है। आपकी अपनी कुंडली समूर्ण रूप से आपके
जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती है। इसलिए यह परमआव्यश्यक है की हम अपनी कुंडली को जान सके और सही निर्णय ले सके। अपनी सोच को सकारात्मक बनाये रखे। जो उपाय और पूजा पथ बताया जाता है वो समय से करते रहे। परमात्मा आपका कल्याण करे। सर्वे भवन्तु सुखिनः
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
हिन्दी भावार्थ:
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने।
हे भगवन हमें ऐसा वर दो!